भैया दूज भाई और बहन के प्रेम व स्नेह का प्रतीक

फरीदाबाद, शनिवार 06नवम्बर 2021 कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया शरद ऋतु २०७८ आनन्द नाम संवत्सर। शिक्षाविद व दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने भैया दूज की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस दिन राजपत्रित अवकाश रहता है और बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं भाई को मिष्ठान खिलाती हैं भाई भी उनकी रक्षा का वचन देते हैं और यथा योग्य दान दक्षिणा देते हैं इससे भाई बहन का रिश्ता मजबूत होता है इस दिन घरों में स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं।

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि भाई को अपनी विवाहित बहन के घर जाकर टीका कराना चाहिए इससे बहन को ज्यादा खुशी मिलती है और संबंधों में मजबूती भी आती है इससे आपस के मतभेद और मनभेद भी दूर हो जाते हैं भाई बहन को परस्पर द्वेष नहीं करना चाहिए एक दूसरे की मजबूती व कल्याण के लिए काम करना चाहिए सुखदायक व मनमोहक वाणी बोलनी चाहिए एक दूसरे का आदर सत्कार करना चाहिए परस्पर सद्व्यवहार करना चाहिए 

डॉ एमपी सिंह ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि बाल्यावस्था में भाई बहन में बेहद प्यार होता है लेकिन विवाह शादी होने के बाद रिश्ते बदतर हो जाते हैं राखी और टीका को भी कई बार बहने छोड़ देती है स्वार्थ हित में दुश्मनी भी कर लेती है देश काल और परिस्थिति के कारण संबंधों में कमी नहीं आने चाहिए अमीरी गरीबी तो चलती रहती है अमीरी गरीबी में के चलते एक दूसरे का बहिष्कार व तिरस्कार नहीं करना चाहिए यह तो 4 दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात कहावत चरितार्थ हो जाती है अनेकों लोग पद और प्रतिष्ठा में मदमस्त हो जाते हैं और इंसानियत को भूल जाते हैं रिश्तो की कद्र भी नहीं करते हैं 

लेकिन डॉ एमपी सिंह का कहना है कि समय परिवर्तनशील है शाम के बाद सुबह और रात के बाद दिन होता है सुबह सूर्य निकलते हुए बहुत चमकता है लेकिन शाम को उसके चमक बिल्कुल खत्म हो जाती है और शांत हो जाता है इसलिए हमें उक्त कहावत और से सीख लेते हुए

किसी के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जो हमारे साथ किया जाए तो हम को बुरा लगे डॉ एमपी सिंह का कहना है कि किसी भी परेशानी में इंसान को धैर्य नहीं खोना चाहिए बुद्धि और विवेक से काम लेने पर हर समस्या का समाधान व निराकरण हो जाता है इसलिए हिम्मत ना हारे और बदले की भावना से किसी के साथ बुरा व्यवहार ना करें।

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि शादी के बाद अनेकों जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं हमें हर जिम्मेदारी को निभाना चाहिए और सामाजिक मर्यादा मैं रहना चाहिए अधिक से अधिक समय अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई में गुजारना चाहिए ज्यादा आपाधापी करने का कोई फायदा नहीं होता है यदि आप धन कमाने में व्यस्त हैं और बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं और सारा समय रिश्तो को मजबूत करने में ही लगा रहे हैं तो अपना भविष्य कहीं ना कहीं पर खराब कर रहे हैं आगे हो सकता है कि भविष्य में आपको पछताना पड़े फिर कहावत चरितार्थ होती है कि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत इसलिए अपने बच्चों को संस्कारवान और चरित्रवान बनाएं।

अपनी समझदारी का परिचय दें परस्पर मनमुटाव को दूर करें और इस पर्व की सार्थकता को समझें तथा अंगीकृत करें इच्छाएं सीमित रखें आवश्यकता अनुसार सभी की इच्छाएं पूरी हो जाती हैं हमें एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए और परिस्थितियों में सामंजस्य बिठाना चाहिए दोषारोपण नहीं करना चाहिए यथा योग्य सभी का सम्मान करना चाहिए दया और करुणा को अपनाना चाहिए जन्म के बाद सभी की मृत्यु होती है कोई भी अमर नहीं होता है इससे भी हमें सीख लेनी चाहिए और किसी के भी दुख तकलीफ में साथ खड़े हो जाना चाहिए जितना संभव हो उतनी मदद अवश्य करनी चाहिए दीन दुखी असहाय लाचार का कभी मजाक नहीं उड़ाना चाहिए कोई बहुत बड़ा उपहार देने के काबिल हो सकता है लेकिन कोई छोटा भी उपहार देने में असमर्थ होता है इसलिए लेनदेन के चक्कर से परे होना चाहिए समय को समझना चाहिए रिश्तो की कद्र करनी चाहिए। 

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