बुद्धिमत्ता की तुलना मे सफलता और असफलता

लखनऊ, आज के। सामाजिक परिवेश मे बुद्धिमत्ता की तुलना मे सफलता और असफलता पर अपने विचार व्यक्त करते  भारतीय केसरिया वाहनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव कहते है मित्रों जीवन में हम समझ ही नही पाते हैं कि हमारे साथ सब ठीक होने के बाद भी कुछ ठीक नहीं हो रहा हैं ।हम बहुत मेहनत करते हैं लेकिन प्रतिफल नही मिलता हैं ।और पूरा जीवन इसी उलझन में निकाल देते हैं, कि हम सफ़ल क्यो नही हो पा रहे है अंत में किस्मत को दोष दे कर अपना पिंड छुड़वा लेते हैं। हम समझ ने का कभी प्रयास ही नहीं करते हैं कि हमारी असफलता का कारण क्या है। ऐसा नहीं है कि जो जीवन में सफल है वह असफल व्यक्ति से बहुत ज्यादा होशियार हो कभी कभी यह भी देखा गया है कि एक असफल व्यक्ति सफ़ल व्यक्ति से कही ज्यादा बुद्धिमान हैं ।मैं दावे से कहता हूँ कि एक सफ़ल व्यक्ति और असफ़ल व्यक्ति का अंतर बहुत कम होता हैं लेकिन भौतिक जीवन में बहुत बड़ा अंतर दिखता है। जैसे कई बच्चे सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हो उनका एक साथी I.A.S. बन गया दूसरा दोस्त कुछ न0 से अथवा आरक्षण नीति के चलते
रह गया लेकिन जीवन में दोनों का आर्थिक सामाजिक अंतर बहुत बड़ा हो जाता है। आखिर ऐसा क्या करे कि हमारे जीवन में असफलता कम से कम हो और हम जीवन मे एक सफल व्यक्ति के रूप में जाने जाये।
       सबसे पहले अपने अंदर से सारी नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करदे ।नकारात्मक विचारों वाले दोस्तो का साथ छोड़ दें ।ज़्यादा से ज्यादा सकारात्मक विचारों का अनुसरण करें। लाख असफलताओं के बावजूद सफ़लता की कामना न छोड़े अपने दिल ,दिमाग में यह बसा ले कि आपमे कुछ ख़ास बात है हम दुनिया जीतेंगे ।हमेसा सकारात्मक विचार वालो के लेख पड़े ।और जो भी निगेटिव आदमी दिखे उससे संपर्क बिल्कुल बन्द कर दे ।ऐसा करके देखिए आपकी दुनिया बदल जाएगी आप खुद महसूस करेंगे कि हम भी कुछ खास है। आप कहोगे लेकिन हम यह सब करे कैसे? मैं बताता हूँ कि आपको करना क्या है। सबसे पहले यह सोचना बंद करदे की हम अभागे हैं


      आप सोचो मैं ही दुनिया का सबसे भाग्य वान हु यह समस्या तो मेहमान हैं आज हैं कल नही रहेंगे ।लाख परेशानी हो लेकिन सफल होने की ज़िद कभी नहीं त्यागो व्यक्ति जीवन के किसी भी मोड़ में सफल हो सकता हैं
जैसे अन्ना हजारे जी जीवन के 75 वर्ष में दुनिया में ख्याति प्राप्त किया, जैसे राम मंदिर के वकील 92 वर्ष की उम्र में दुनिया उनको ठीक से जानि ।धीरूभाई अंबानी 47 वर्ष की उम्र में वह अपने बच्चों को सप्ताह में एक दिन बाहर खिलाने जाते थे और चलने से पहले वह बता देते थे कि आइसक्रीम ,कोल्डड्रिंक या चाट में से एक चीज़ ही खा सकते हो वह 68 वर्ष में स्वर्ग वासी होते हैं उस वक्त वह भारत के सबसे अमीर व्यक्ति हो चोक थे ।अभी भी आशा मत त्यागो रात को सोते वक्त यह कह कर सो की कल हमारा हैं। शुभह उठोतो यह कहना कि हे ईश्वर आज का दिन अच्छा हो । मन में एक गाना जरूर गाया करो ।हम होंगे कामयाब एक दिन। यह करके देखो जीवन न बदल जाये तो मेरा नाम बदल देना ।जीवन मे बहुत से लोग आपकी आलोचना भी खूब करेगे ।लेकिन आपके अंदर इतनी आत्म शक्ति होना चाहिये कि उसको नजर अंदाज कर दो।
        एक दिन वह खुद ही खत्म होजायेगा । जैसे वह आपको अपशब्द कहा आपने उसको नज़र अंदाज़ कर दिया तो वह और उतेजित होगा वह और आप को अपशब्द कहेगा ऐसा करते करते उसके अंदर इतनी निगेटिव ऊर्जा बड़ जाएगा कि वह जीवन मे कुछ भी करेगा तो सफल नही होगा और घुट घुट कर एक दिन स्वतः समाप्त हो जाएगा । हा एक बाततो बताना भूल ही गये की जीवन मे आपका अपना आचरण खुद के लिए अच्छा हो आप अच्छे पुत्र हो,आप अच्छे भाई हो,आप अच्छे मित्र हो,आप अच्छे पति हो, आप अच्छे पिता हो ,आपके अंदर किसी प्रकार का अपराध बौद्ध न हो और आप अपने जीवन में वह कार्य का चयन करें जिस कार्य को आप सबसे अधिक मन लगा कर कर सकते हो ।एक बार मैरे बताये रास्ते को अपनाए आपका जीवन मे सिर्फ खुशियों का भंडार मिलेगा।


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