गरीबी अभिशाप है
बदनसीबी है,
मैंने देखा है
रेड लाइट एरिया में।
मैंने देखा है
कुपोषित जवानी
आँखें बिना पानी,
पेट पीठ एक,
लाज शर्म से अनभिज्ञ
नव यौवना।
मैंने देखा है
गाय के गोबर से
अपच अनाज के दाने छाँटते हुए,
चूहों के बिलों को खोदकर
बालियाँ निकालते हुए।
मैंने देखा है
पत्तलों पर टूटते हुए
जूठे, बचे खुचे भोजन के लिए ।
फेंके हुए दोना को चाटते हुए।
बँधुआ मजदूरी में
पीढ़ी दर पीढ़ी रेंघते हुए।
बीमारियों के चंगुल में
असहाय तड़प -तड़प कर मरते हुए।
मैंने देखा है
दबंगों ने चोरी किया
पर अपराधी पकड़ना है क्या करे?
साँठ-गाँठ हुआ
गरीबों ने
यातना पर जुर्म कबूला।
यह सच है गुस्सा सब पर आता है
पर फूटता गरीबों पर है।
सड़क ऊबड़ खाबड़ है
सबको पता है ठेकेदारों का करतूत
पर गुस्सा फुटपाथ पर रहने वालों पर ???
संजय राजभर 'समित'
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