प्रतिनिधिमंडल में मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं सेवानिवृत्त आईएएस अवनीश कुमार अवस्थी, सेवानिवृत्त आईएफएस बाबूराम अहिरवार, सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. चुन्ना सिंह, कृषि विभाग के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. शंकर सिंह तथा पीडब्ल्यूडी के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता राकेश सिंह शामिल रहे। इनके साथ अपर मुख्य सचिव एवं जनपद के नोडल अधिकारी अनुराग श्रीवास्तव, जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह, मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक और चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह भी उपस्थित रहे।
पहला सत्र: युवाओं और शिक्षाविदों से संवाद
पहला सत्र एचबीटीयू के शताब्दी भवन में हुआ, जिसमें विश्वविद्यालयों के छात्रों, प्राध्यापकों और शिक्षाविदों से बातचीत की गई।
अवनीश अवस्थी ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की भूमिका सबसे बड़ी होगी। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे केवल शैक्षणिक उपलब्धियों तक सीमित न रहकर नीतियों के निर्माण और क्रियान्वयन में भी योगदान दें। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी लगातार बदलती तकनीक से रूबरू हो रही है और विकास की गति बनाए रखने के लिए तकनीकी व सामाजिक नवाचारों को साथ लेकर चलना होगा
अपर मुख्य सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने युवाओं को केवल नौकरी तक सीमित न रहने और उद्यमिता, स्टार्टअप व शोध के क्षेत्र में भी योगदान करने के लिए प्रेरित किया।
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने युवाओं को संबोधित करते हुए स्वदेशी तकनीकी के विकास पर कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट से ही विकसित भारत एवं विकसित उत्तर प्रदेश का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने छात्रों से प्रदेश को विकसित उत्तर प्रदेश बनाने की दिशा में ठोस सुझाव देने का आह्वान किया।
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि समर्थ उत्तर प्रदेश व विकसित उत्तर प्रदेश 2047 की संकल्पना युवाओं की भागीदारी पर निर्भर कर रही थी प्रधानमंत्री जी की विकसित भारत के संकल्पना है। उत्तर प्रदेश में देश की 1/6 आबादी रहती है। उन्होंने युवाओं एवं शिक्षाविदों से कर कोड के माध्यम से अपना फीडबैक देने का अनुरोध किया। सीडीओ दीक्षा जैन ने कानपुर के विकास से संबंधित प्रेजेंटेशन दिया।
छात्रों के सुझाव
इस सत्र में छात्रों ने सुझाव दिए कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में शोध और स्टार्टअप संस्कृति को और बढ़ावा दिया जाए। शिक्षा व्यवस्था में तकनीक आधारित सुधार किए जाएँ। नीति–निर्माण प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी के लिए अलग मंच बनाए जाएँ और कौशल विकास कार्यक्रमों को अधिक सुलभ बनाया जाए।
दूसरा सत्र: कृषकों, एफपीओ और कृषि वैज्ञानिकों से संवाद
दूसरा सत्र चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ, जिसमें किसानों, एफपीओ सदस्यों और कृषि वैज्ञानिकों से विस्तृत विमर्श हुआ।
अवनीश अवस्थी ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने 2017 से अब तक कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। खाद्यान्न उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 35.3 प्रतिशत, दालों में 17.4 प्रतिशत, गेहूँ में 42.8 प्रतिशत और गन्ने में 54.5 प्रतिशत तक पहुँच गई है। आलू उत्पादन 40.7 प्रतिशत तक बढ़ा है। दुग्ध उत्पादन 7.43 करोड़ टन तक पहुँचा और मत्स्य पालन का आउटपुट शेयर 8.3 प्रतिशत तक पहुँचा है।
उन्होंने कहा कि यदि यही गति बनी रही तो 2047 तक उत्तर प्रदेश कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में देश को आत्मनिर्भर व वैश्विक शक्ति बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। किसानों को ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आधुनिक उपकरणों का उपयोग बढ़ाना होगा।
अपर मुख्य सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि नीति निर्माण में किसानों की राय भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी विशेषज्ञों की। सीएसए के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह ने कहा कि कृषि को नई ऊँचाई देने के लिए वैज्ञानिक निवेश और आधुनिक तकनीक का प्रयोग अनिवार्य है।
किसानों और एफपीओ के सुझाव
संवाद में प्रगतिशील किसान राज किशोर पांडेय ने कहा कि कृषि और पशुधन दोनों को समान महत्व देना होगा। गोवंश को खेती से जोड़ने पर रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं होगी और प्राकृतिक खेती से समृद्धि आएगी।
पुष्प उत्पादक जय नारायण सिंह ने ऊसर भूमि सुधार और ब्लॉक स्तर पर मंडी खोलने की माँग की, जिससे फूल व सब्ज़ी उत्पादकों को लाभ मिल सके।
कमल किशोर ने जल संरक्षण के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई। राखी गुप्ता ने जैविक खेती के विस्तार पर जोर दिया।
एफपीओ सदस्य जयंत तिवारी ने दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहन देने और प्रगतिशील किसान रघुनाथ सिंह ने सब्ज़ी तथा धान उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने के सुझाव दिए। किसानों ने विद्युत रोस्टर सुधार, नहरों की टेल की सफाई और मृदा स्वास्थ्य परीक्षण व्यवस्था को और मजबूत बनाने की आवश्यकता भी जताई।
जनता से अपील: क्यूआर कोड व पोर्टल के माध्यम से सुझाव
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि अभियान के अंतर्गत कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, पर्यटन, महिला विकास, रोजगार, कानून–व्यवस्था, ग्रामीण विकास और सामाजिक सुरक्षा जैसे 12 क्षेत्रों में जनता से सुझाव लिए जा रहे हैं।
लोग अपने सुझाव क्यूआर कोड स्कैन कर या सीधे पोर्टल samarthuttarpradesh.up.gov.in पर दर्ज करा सकते हैं।
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