इस विधेयक की जरूरत क्यों पड़ी इसके लिए प्रत्येक भारतीय को निम्नांकित बातें पढ़नी चाहिए यह बहुत जरूरी है आपकी आंखें खोलने के लिए, इसे अवश्य पढ़िए...अमित शाह की कही गई बातों के मुख्य अंश इस प्रकार
▪गृहमंत्री अमित शाह ने कहा-इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर न होता तो मुझे बिल लाने की जरूरत ही नहीं होती. सदन को ये स्वीकार करना होगा कि धर्म के आधार पर विभाजन हुआ है. जिस हिस्से में ज्यादा मुस्लिम रहते थे वो पाकिस्तान बना और दूसरा हिस्सा भारत बना।
▪नेहरू-लियाकत समझौते में भारत और पाकिस्तान ने अपने अल्पसंख्यकों का ध्यान रखने का करार किया लेकिन, पाकिस्तान ने इस करार का पूरा पालन नहीं किया।
▪3 देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान में इस्लाम को राज्य धर्म बताया है. वहां अल्पसंख्यकों को न्याय मिलने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है. 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी. 2011 में ये 3.7% पर आ गई।
▪बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में 7.8 % हो गई. आखिर कहां गए ये लोग. जो लोग विरोध करते हैं उन्हें में पूछना चाहता हूं कि अल्पसंख्यकों का क्या दोष है कि वो इस तरह क्षीण किए गये ?
▪1951 में भारत में मुस्लिम 9.8 प्रतिशत थे. आज 14.23 प्रतिशत हैं, हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. आगे भी किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
▪ये कानून किसी एक धर्म के लोगों के लिए नहीं लाया गया है. ये सभी प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए है. इसलिए इसमें आर्टिकल-14 का उल्लंघन नहीं होता।
▪ये बिल आर्टिकल-14, आर्टिकल-21 और आर्टिकल-25 किसी का उल्लंघन नहीं करता है. ये संविधान के हिसाब से पूरी तरह ठीक है।
▪किसी भी व्यक्ति को अपने परिवार की बहन-बेटी को या अपने धर्म को बचाने के लिए यहां आना पड़े और हम अपनाए नहीं, ये गलती हम नहीं कर सकते. हम उन्हें जरूर स्वीकारेंगे, नागरिकता देंगे और पूरे विश्व के सामने उन्हें सम्मान भी देंगे।
▪भारत ने किसी भी रिफ्यूजी पॉलिसी को स्वीकार नहीं किया है। पारसी भी प्रताड़ित होकर ईरान से भारत आए थे।
▪पीओके भी हमारा है, उसके नागरिक भी हमारे हैं और आज भी हम जम्मू कश्मीर की विधानसभा में 24 सीट इनके लिए आरक्षित रखते हैं।
▪जब भी नागरिकता के बारे में कोई Intervention हुआ, वो किसी न किसी Specific Problem को Solve करने के लिए हुआ. यूगांडा से जब लोग आए थे, तो केवल वहां से आए लोगों को ही नागरिकता दी गई, अन्य किसी देश से आए लोगों को नागरिकता नहीं दी गई थी।
▪हमारी अल्पसंख्यकों की व्याख्या गलत नहीं है. ये पूरा विधेयक उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों के लिए है. बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जब इस्लाम राज धर्म है तो वहां मुस्लिम लोग अल्पसंख्यक नहीं होते हैं।
▪रोहिंग्याओं को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा. ये मैं आज फिर कह रहा हूं।
▪अभिषेक बनर्जी ने आज अपने वक्तव्य में टैगोर, विवेकानंद और बंकिम बाबू का नाम लिया. लेकिन बंकिम बाबू के समय ऐसे बंगाल की कल्पना थी क्या कि दुर्गा पूजा के लिए कोर्ट में जाना पड़े ?
▪मैं इतना कहना चाहता हूं कि माइनॉरिटी में कोई डर की भावना नहीं है, अगर है तो भी मैं अपने सभी अल्पसंख्यक भाई बहनों को विश्वास दिलाता हूं कि मोदी जी के प्रधानमंत्री रहते हुए इस देश में किसी भी धर्म के नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है।
▪अभिषेक बनर्जी ने कहा कि एनआरसी और सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल ट्रैप है. लेकिन इसमें कोई ट्रैप नहीं है. उन लोगों को ये ट्रैप जरूर लग सकता है जो वोटबैंक के लिए घुसपैठियों का संरक्षण करते हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।
▪मैं बंगाल के सभी सांसदों से कहना चाहता हूं कि लाखों लोगों को जो नागरिकता मिलने वाली है वो सारे बंगाली शरणार्थी है, क्या आप नहीं चाहते कि बंगाली हिन्दू, बौद्ध, सिख और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता मिले ?
▪कुछ लोग बिल के खिलाफ माहौल बना रहे हैं. लेकिन किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है. शरणार्थियों के पास राशन कार्ड है या नहीं, ये बिल सबको नागरिकता देगा. आपको किसी के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है।
▪मैं इस सदन को फिर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब हम NRC लेकर आएंगे, एक भी घुसपैठिया इस देश के अंदर बच नहीं पायेगा।
▪मैं जनता को कहना चाहता हूं कि कांग्रेस ऐसी बिन साम्प्रदायिक पार्टी है, जिसकी केरल में मुस्लिम लीग सहयोगी है और महाराष्ट्र में शिवसेना सहयोगी है।
▪मैं पूरी गंभीरता के साथ देश की जनता को विश्वास दिलाता हूं कि जब तक नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री हैं तब तक भारत का संविधान ही हमारा धर्म है।
▪2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 1 हजार लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया. UNHRC की रिपोर्ट के अनुसार अब दूसरे धर्मों के मात्र 20 धार्मिक स्थान ही पाकिस्तान में बचे हैं।
▪बंगबंधु शेख मुजीब उर्र रहमान की हत्या के बाद बांलादेश में जो अत्याचार का दौर चालू हुआ, उसने वहां की धार्मिक लघुमतियों की रीड की हड्डी ही तोड़ दी, भोला में एक सुनियोजित हमले में 200 अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया।
▪इन देशों में ढेर सारे मंदिर तोड़े गए.अफगानिस्तान में 1992 तक करीब 2 लाख हिंदू और सिख थे और 2018 तक वो सिर्फ 500 रह गए. पूरे देश ने देखा था कि धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया. भगवान बुद्ध की भव्य प्रतिमा को तोप के गोले दागकर तोड़ा गया. ऐसे में कहां जाते ये अल्पसंख्यक
▪मैं फिर से इस सदन के माध्यम से पूरे देश के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं कि घुसपैठिये और शरणार्थी में मौलिक अंतर हैं।
▪जो धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर अपने परिवार की सुरक्षा के लिए, अपने धर्म की रक्षा के लिए यहां आता है, वो शरणार्थी है और जो बिना परमिशन के घुस कर आता है वो घुसपैठिया है।
▪वोट बैंक के लालच में अगर आंख अंधी और कान बहरे हो गए हैं तो उन्हें खोल लीजिए. करोड़ों लोगों के साथ अन्याय हुआ है. जो नर्क की यातना झेल रहे हैं, जिन्हें सुविधाएं नहीं मिल रही, उन लोगों की यातनाओं से मुक्ति के लिए मोदी जी ये बिल लाए हैं।
नेहरू-लियाकत समझौते की गलती को आज मोदी जी ने सुधारने का काम किया है। इसे कांग्रेस को देश हित मे स्वीकार करना चाहिए।
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