शोध भी व्यावहारिक अभ्यास से ही सीखा जा सकता है - डॉ. कुमार अक्संद पांडेय

कानपुर नगर। शुक्रवार 12सितम्बर 2025 (सूत्र/संवाददाता) सूर्य दक्षिरायण, आश्विन मास कृष्ण पक्ष की पंचमी (पितृपक्ष) शरद ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। अटल बिहारी बाजपेयी स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज़, सीएसजेएम विश्वविद्यालय, कानपुर में एक विशेष अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के मार्गदर्शन एवं संरक्षण में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज द्विवेदी ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और उन्हें तुलसी पौधा एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। 

कार्यक्रम का शुभारंभ स्वागत भाषण से हुआ, जिसे विभाग के सहायक आचार्य सुधांशु सर ने प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने संबोधन में डॉ. पांडेय के शैक्षणिक जीवन और योगदान का संक्षिप्त परिचय देते हुए मंच पर उनका हार्दिक स्वागत किया।

मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित डॉ. कुमार अक्संद पांडेय, प्रोफेसर, डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ ने "Fundamentals of Research एवं Essentials of Research" विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि मात्र छह कक्षाओं और दो वर्षों के कार्यकाल में शोध एवं प्रबंध-लेखन को समझना संभव नहीं है, इसके लिए व्यवहारिक अनुभव आवश्यक है। जैसे गाड़ी चलाना केवल सैद्धांतिक कक्षाओं से नहीं सीखा जा सकता, उसी प्रकार शोध भी व्यावहारिक अभ्यास से ही सीखा जा सकता है। उन्होंने कानूनी शोध की परिभाषा, प्रणाली, सूचना, जाँच, भौतिक एवं सामाजिक समस्याओं पर चर्चा की और उदाहरण स्वरूप 2012 में भारत में उभरी सामाजिक चुनौतियों का उल्लेख किया। 

डॉ. पांडेय ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार के भेदभाव को प्रथा या प्रचलन के नाम पर उचित नहीं ठहराया जा सकता। साथ ही उन्होंने यौन उत्पीड़न को यौन शोषण की श्रेणी में मानते हुए इस पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता बताई । अंत में कार्यक्रम का संचालन करते हुए सहायक आचार्य सुश्री हेमलता निनोरिया ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

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