लखनऊ, हाता हृदय नारायन मर्दन खेडा में चल रही पावन प्रज्ञा पुराण की कथा की रोचक शैैली को वर्षा के कारण बढती सर्दी भी कम न कर सकी । आज दूसरे दिन की कथा में कथा व्यास श्री कैलाश नारायण तिवारी जी ने परिवारों में बढ रहे असंतोष , आक्रोष , असहिष्णुता ,व अकारण रोष को भारतीय संस्कार परंम्परा का लुप्त हो जाना बताया ।भारतीय जीवन पद्यति का आधार ही संस्कार है । आचार्य श्री राम श्रीमान रचित पावन प्रज्ञा पुरान की कथा कें परिवार खण्ड में संस्कारों पर बडा बल दिया गया है । संस्कार अनगढ़ को सुघड़ बनाते है ।बा्ल्यावस्था में बालक के बारह वर्ष की अवस्था तक बारह में से आठ संस्कार हो जाते हैं जिससे जीवन में भटकाव न आने पाये । यही संस्कार जीवन को श्रेष्ठ से श्रेेष्ठतम बनाते हैं ।
प्रज्ञा पुराण की कथा की रोचक शैैली
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