आजाद भारत का सपना और खा़न अब्दुल गफ्फार खा़ँ" विषय पर संवाद गोष्ठी

उन्नाव, गुरुवार 21 जनवरी 2021 पौष मास शुक्ल पक्ष अष्टमी २०७७ प्रमादी नाम संवत्सर। स्वतंत्रता आन्दोलन के अमर सेनानी, भारत विभाजन के पुरजोर विरोधी व खुदाई खिदमतगार के संस्थापक भारतरत्न खा़न अब्दुल गफ्फार खा़ँ का स्मृति दिवस पर एक सम्वाद गोष्ठी के आयोजन महात्मा गांधी पुस्तकालय सभागार, कमला भवन, उन्नाव में सम्पन्न हुआ। 

"आजाद भारत का सपना और खा़न अब्दुल गफ्फार खा़ँ" विषय पर आयोजित संवाद गोष्ठी का आयोजन जन एकता मुहिम द्वारा किया गया जिसकी अध्यक्षता शिक्षक विधायक राजबहादुर सिंह चंदेल तथा मुख्य वक्ता के रूप में कवि व साहित्यकार  दिनेश कुमार प्रियमन की सहभागिता रही। जिसमें जिले के प्रबुद्धजनों की उपस्थित में गोष्ठी के विषय पर गम्भीर विमर्श करते हुये आजादी के बाद सम्वेदनहीन व पतनशील हो रहे भारतीय समाज पर वक्ताओं ने आपनी चिंताएं साझा कीं।

जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी से दिनेश प्रियमन ने गोष्ठी का विषय प्रवेश करते हुए बादशाह खान अब्दुल गफ्फार खाँ के संघर्षों को याद करते हुए कहा कि आजादी को दोनों धर्मों की कट्टरता ने देश के बँटवारे तक पहुंचाया था। विभाजन बादशाह खान सहित उन तमाम शहीदों के सपनों के खिलाफ़ था जिन्होंने आजादी के लिए अपनी कुर्बानियाँ दी थी। 

चर्चा चक्र हिन्दी समाचार पत्र के प्रकाशक दिनेश कुमार प्रियमन ने कहा कि यदि शहीदों और राजनेताओं के सपने एक होते तो आज के आजाद भारत की तस्वीर कुछ और ही होती। स्त्री हिंसा से लेकर मजदूर किसानों की हालत बदल गई होती। 

मजदूर नेता अखिलेश ने कहा कि आज आजाद भारत में जनान्दोलनों को दबाया जा रहा है और धर्म व जाति के नाम पर जनता को बाँटने की राजनीति की जा रही है जो चिन्ताजनक है। मुहिम के कार्यकर्ता सुशील ने बादशाह खा़न को महात्मा गांधी का सच्चा अनुयायी बताते हुये उन्हें नेल्सन मंडेला की कोटि का अन्तर्राष्ट्रीय जननायक बताया। सर्वोदय मण्डल, उन्नाव के अध्यक्ष व कवि नसीर अहमद ने कहा कि आजादी का सपना था समाज के अंतिम आदमी के जीवन की खुशहाली। बादशाह खान ने खुदाई खिदमतगार की स्थापना कर इंसान की सेवा का संकल्प लिया था। उन्होंने गांधी के प्रभाव में पख्तूनों को शांति, अहिंसा और प्रेम के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी और आजादी के बाद पाकिस्तान में तानाशाही की खिलाफत में वर्षों जेल की यातनायें सहीं।जन एकता मुहिम के मनीष त्रिपाठी ने सीमांत गांधी को याद करते हुये कहा कि उन्होंने मजहबी कट्टरता छोड़कर मजलूमों की सेवा को ही नमाज़ का दर्जा दिया। 

पूर्व प्राचार्य डा.रामनरेश ने जनता पर धर्म और साम्प्रदायिकता की राजनीति थोपने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि गांधी की तरह बादशाह खा़न ने धर्म को कभी साम्प्रदायिक नहीं होने दिया। उनका कहना था कि इतिहास से सीखते हुये हमें आजादी के सपने को पूरा करना होगा। साहित्यकार अश्विनी कुमार शर्मा व पत्रकार संजीव ने आजाद भारत में विघटनकारी ताकतों के बढ़ते हौसलों पर चिंता व्यक्त करते हुये सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों को ही जनता को बाँटने वाला बताया। महात्मा गांधी पुस्तकालय के मंत्री अतुल मिश्र ने समाज के लिए सकारात्मक सोच को महत्वपूर्ण मानते हुये अपनी विरासत को बचाने पर जोर दिया।

शिक्षक विधायक व जन एकता मुहिम के सलाहकार राजबहादुर सिंह चंदेल ने सम्वाद गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विधान परिषद में अपने लम्बे कार्यकाल के अनुभव को साझा किया। उन्होंने आजाद भारत की विधायिका के पतनशील चरित्र पर गम्भीर चिंता व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि संवेदनहीन होते समाज के अवमूल्यन को हमारे आचरण की कसौटी ही बचा सकती है। सामाजिक विकृतियां बढ़ रही हैं, लोकतंत्र का ढांचा टूटना चिंताजनक है।

सम्वाद गोष्ठी में सर्वोदय मण्डल के रघुराज मगन व मयंक आलोक ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन जन एकता मुहिम के संयोजक गिरजेश कुमार ने किया। उन्होंने स्व.प्रो.रायबहादुर पाण्डेय की पहल पर नब्बे के दशक में बने इंसानी बिरादरी संगठन की चर्चा करते हुये गांधी जन्म शताब्दी के वर्ष 1969 में बादशाह खा़न के उन्नाव आगमन को याद किया। ज्ञातव्य है कि महात्मा गांधी पुस्तकालय की स्थापना के पीछे बादशाह खान के भारत आगमन की स्मृतियां भी जुड़ी हैं। गोष्ठी का समापन वक्ताओं ने फरीदाबाद, हरियाणा के बादशाह खा़न अस्पताल के नाम को न बदलने की अपील के साथ किया।


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