डॉ प्रभा की 3 रचनाओं का एक साथ लोकार्पण किया साहित्यकारों ने

      कानपुर, सोमवार। साहित्यकार डॉक्टर प्रभा दीक्षित कि आज तीन पुस्तकों का लोकार्पण क्षेत्र के जाने-माने साहित्यकार कवि लेखक की उपस्थिति में संपन्न हुआ इन रचनाओं को विद्वानों ने अपने अपने दृष्टिकोण से प्रकाश डाला और रचनाओं की गहराइयों को वक्ताओं के समक्ष प्रस्तुत किया कार्यक्रम का आयोजन सांस्कृतिक मंच कानपुर के तत्वावधान में आज शाम 5:00 बजे मर्चेंट चेंबर हाल में आरंभ हुआ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लखनऊ के कौशल किशोर जी ने डॉक्टर प्रभा की गजलें को दुष्यंत कुमार की परंपरा को आगे बढ़ाने वाला बताया और सराहना की।


     विशिष्ट अतिथि के रूप में आए कार्यक्रम की सहभागिता करते हुए उन्नाव के साहित्यकार कुमार दिनेश प्रियमन ने पुस्तक को भूमंडलीय के परिपेक्ष में सांस्कृतिक दायित्व और उत्तर आधुनिक विपक्ष पर बोलते हुए इसकी सराहना की तथा डॉक्टर प्रभा दीक्षित के रचना संसार पर चर्चा करते हुए साहित्यकार व प्रकाशक संपादक दिनेश प्रियमन ने कहा इन रचनाओं में जो बातें निकल कर आयी वह हमारे समय की सज्जा और समाज की मौजूदा हालात को व्यक्त करती हैं और ऐसी सारी चर्चाएं ऐसी, पुस्तक समीक्षाएं लोकार्पण के ही बहाने आए तो हम अपने समय को अपनी मौजूदा सांस्कृतिक सामाजिक राजनीतिक परिस्थिति को अच्छी तरह से समझ कर और विश्लेषण कर सकते हैं खासतौर से साहित्यकारों का जो कर्तव्य है कि वह जनता के बीच में रचना के संदर्भ ले जाना अपने संदेश देना, सज्जन के संदेश देना उसके लिए ऐसे यह बहुत अच्छे अवसर सिद्ध हो सकते हैं।


         कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर ज्योति किरण ने सफलतापूर्वक  करते हुए कहा कि डॉक्टर प्रभा दीक्षित के साहित्य साहित्यिक सरोकार निस्संदेह व्यापक है कथा गजल संग्रह हर नजर तेरी हुई है हर नजर भीगी हुई है पर अपने शब्दों से व्याख्यान किया एक गजल सुना कर किया।


     जनवादी लेखक संघ की वर्तमान पदाधिकारी व डेकोरेटर अनीता मिश्रा ने आज के परिवेश पर बोलते हुए कहा कि न्यूज़ चैनल एक माहौल क्रिएट करते हैं और उसी माहौल पर जनता को सोचने के लिए विवश करते हैं जबकि साहित्यकार समाज की आवश्यकताओं को, संतुलन को अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज पर प्रस्तुत करता है डॉक्टर प्रभा दीक्षित की गजलें इसी का उदाहरण है।



       कार्यक्रम के अंत में डॉ प्रभा दीक्षित ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा की मेरा बचपन से यही सपना था कि मैं देश और समाज के लिए अपनी लेखनी के माध्यम से काम कर सकूं और अपनी कलम को औजार  बनाकर समाज में प्रस्तुत कर सकूं। कार्यक्रम में आए हुए सभी का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया


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