उत्तर प्रदेश में विकसित हो रहे हिंदी फिल्म उद्योग से देश को उम्मीद

लखनऊ, रविवार कार्तिक शुक्ल अष्टमी 2077 प्रमादी नाम संवत्सर। 

मुंबई फिल्म उद्योग से जुड़े ड्रग कलेक्शन के हो रहे खुलेसे और सुशांत की हत्या आदि के मामले में फिल्म उद्योग की चकाचौंध को निर्जीव सा कर दिया है।

कल तक दर्शकों के आइडियल रहे फिल्मी कलाकारों की छवि धूमिल और शिथिल पड़ गयी है। 

बम्बईया फिल्म उद्योग अपने बुरे समय से गुजर रहा है जबकि इसकी सच्चाई उजागर होने से देश को सपने की दुनिया से मानो भरोसा ही उठ गया है।
 
अब तो पूरे देश को उत्तर प्रदेश में बन रहे हिंदी फिल्म उद्योग पर निगाहें टिकी हैं। फिल्म विकास परिषद के चेयरमैन राजू श्रीवास्तव के प्रयासों और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से एक मजबूत सहयोग मिला है। 

आज प्रदेश में बनने वाली नई फिल्मों के लिए कानपुर, लखनऊ, वाराणसी आदि शहरों में कलाकारों के चयन के लिए ऑडिशन कराए जा रहे हैं जिनके परिणाम स्वरूप यहां के कलाकारों को रोजगार के साथ सुनहरे अवसर भी प्राप्त होंगे। 

गांधी दर्शन पर आधारित एक फिल्म का ऑडिशन टेस्ट कानपुर में लिया गया जिसमें समाज को हिंदू मुस्लिम एकता के लिए एक अच्छा संदेश देने का प्रयास किया गया है ताकि बंटवारे के बाद भड़की दंगे की आग देश में दोबारा न भड़के और हमारे देश में मानवता बची रहे। फिल्म के निर्देशक मिस्टर पाठक ने बताया कि अभी इस फिल्म का शीर्षक तय नहीं किया गया है। 

लखनऊ में मोशन पिक्चर एसोसिएशन ने कलाकार, टेक्नीशियन, फिल्म निर्माता आदि के साथ एक बैठक की। बैठक में फिल्म उद्योग से जुड़े विषयों पर बृहद चर्चा हुई, साथ ही फिल्म बनाने में होने वाली कठिनाइयों पर अपनी मांगों को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी के सामने रखने की बात कही। 


कुल मिलाकर अब देश को उत्तर प्रदेश की फिल्म उद्योग नगरी के शीघ्र विकसित होने की प्रतीक्षा है। 

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