दीपोत्सव में लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त

शुक्रवार, कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे त्रयोदशी तदुपरि चतुर्दशी विक्रम सम्मत 2077 । दिवाली के लिए इस बार पूजा के लिए शाम में जल्दी ही मुहूर्त बताया गया है।


शाम के 5 बजकर 40 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट का मुहूर्त सबसे ऊत्तम माना गया है। 


इस शुभ मुहूर्त के समय लक्ष्मी और गणेश पूजा की जा सकती है। इस बार छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली की तिथि एक ही दिन पड़ने को शुभ माना जा रहा है। 


लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त इस वर्ष लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त प्रदोष काल में 1 घंटा 56 मिनट के लिए बन रहा है। दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त शाम को 05 बजकर 28 मिनट से शाम 07 बजकर 24 मिनट के मध्य है। यह मुहूर्त प्रदोष काल की पूजा का है।


निशिता काल में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त देर रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 32 मिनट तक है। 34 मिनट की अवधि में आपको ​लक्ष्मी पूजा संपन्न कर लेनी चाहिए।


इन दो मुहूर्त के अलावा आपको चौघड़िया मुहूर्त पर भी विचार करना चाहिए। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए चौघड़िया मुहूर्त नीचे ​दिया गया है।



  1. दोपहर में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 02 बजकर 17 मिनट से शाम को 04 बजकर 07 मिनट तक।

  2. शाम में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: शाम को 05 बजकर 28 मिनट से शाम 07 बजकर 07 मिनट तक।

  3. रात में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: रात 08 बजकर 47 मिनट से देर रात 01 बजकर 45 मिनट तक।

  4. प्रात:काल में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: 15 नवंबर को 05 बजकर 04 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक।


ज्योतिषानुसार दान और स्नान की अमावस्या 15 तारीख को है। मगर लक्ष्मी पूजन 14 नवंबर को ही किया जाएगा।


चलिए इसको सही से समझते हैं...12 नवंबर 2020 को रात 9:30 मिनट से त्रयोदशी (धनतेरस की तिथि) आरंभ हो जाएगी जो 13 नवंबर की शाम 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। 


उसके बाद चतुर्दशी तिथि आरंभ होगी जो 14 नवंबर को दोपहर  1 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। उसके बाद अमावस्या शुरु हो  जाएगी जो 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 16 मिनट  तक रहेगी।


दीपावली का पूजन रात में ही होता है इसलिए 14 नवबंर को दिवाली मनाई जाएगी। वहीं चतुर्दशी 13 से आंरभ होकर 14 तक रहेगी तो लक्ष्मी पूजन के दिन ही नरक चतुर्दशी भी मनाई जाएगी। लेकिन दान और स्नान 15 नवंबर को ही किया जाएगा। 


छोटी एवं बडी दिवाली चतुर्दशी और अमावस्या दोनों तिथि एक ही दिन पड़ने के कारण और शनि एवं गुरु ग्रह के अपनी ही राशि में होने के कारण शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और धन-धान्य की कोई कमी नहीं। 


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