- एकात्मता का एहसास, आक्रमण का प्रतिकार…यही है राष्ट्र जागरण अभियान
- देश की खंडित चेतना शक्ति को जगाएगा राष्ट्र जागरण अभियान
कानपुर, सोमवार 01नवम्बर 2021 (सूवि) कार्तिक मास कृष्ण पक्ष एकादशी तदुपरि द्वादशी शरद ऋतु २०७८ आनन्द नाम संवत्सर। राष्ट्र जागरण अभियान की उत्तर प्रदेश यात्रा का शुभारम्भ हो गया है। प्रवास की शुरुआत कानपुर प्रांत से की गयी है। कानपुर प्रांत की यह यात्रा इटावा, कानपुर, बिठूर, चौडगरा, फ़तेहपुर, बाँदा, महोबा, झाँसी व उसके पास के अन्य ज़िले, ओरछा, उरई, औरैया, कन्नौज व अन्य ज़िलों से होकर चित्रकूट तक जाएगी।
दिनाँक 30th अक्टूबर को अभियान की संस्थापक और संयोजक सुबूही ख़ान ने अपनी टीम के साथ श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर पनकी, कानपुर में दर्शन किये एवं महामंडलेश्वर महंत जितेंद्रदास जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। इसी के साथ मंदिर के प्रांगण में चल रहे वेद गुरुकुल के विद्यार्थियों से मिल कर व मंदिर के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ राष्ट्र धर्म विषय पर चर्चा हुई।
दिनाँक 31st अक्टूबर को अग्रसेन भवन, कानपुर में भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित प्रांतीय महिला सम्मेलन में सुबूही ख़ान ने मुख्य अतिथि व वक्ता के तौर पर भाग लिया जिसमे उन्होंने भारत के समक्ष खड़ी चुनौतियों और भारतवासियों के कर्तव्य यानि राष्ट्र धर्म पर प्रकाश डाला व साथ ही साथ महिला शक्ति का सामाजिक व राष्ट्र पुनर्निर्माण में कितना महत्वपूर्ण योगदान है इस पर अपना वक्तव्य दिया।
राष्ट्र जागरण अभियान की शुरुआत अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता व संस्थापक कबीर फ़ाउंडेशन, सुबूही ख़ान द्वारा CAA/NRC के समर्थन में ‘सेव भारत’ नाम से की गई थी जिसमे उन्होंने उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल आदि प्रदेशों में जाकर CAA/NRC के सामाजिक, वैधानिक व राजनैतिक सभी पहलुओं पर जागरण व जागरूकता अभियान चलाया था।
उत्तर प्रदेश के हाथरस प्रकरण के बाद इस अभियान को एक नयी दिशा दी गयी। अपने गुरु माननीय के. एन. गोविंदाचार्य जी के संरक्षण और मार्गदर्शन में सुबूही ख़ान अपनी टीम के साथ राष्ट्र जागरण अभियान के अंतर्गत भारत प्रवास पर हैं व देश की खंडित चेतना शक्ति और आध्यात्मिक बल को जगाने और एकत्र करने का काम कर रही हैं।
सुबूही ख़ान कहती हैं, सात भारत विरोधी मानसिकताएँ अपना तन, मन, धन लगा कर भारत को तोड़ने का प्रयास कर रही हैं और हम लोग बँटे होने के कारण उनको पराजित नही कर पा रहे हैं।
माननीय गोविंदाचार्य जी कहते हैं चार कारक भारत के भू-मनोविज्ञान को प्रभावित करते हैं। वो कारक हैं भाषा, जाति, क्षेत्र और सम्प्रदाय। जब समाज में एकरसता होती है और समाज संगठित होता है तो यह चारों कारक भारत की ताक़त हैं। और जब समाज बँटा और टूटा होता है तो यही चार कारक अलगाववाद और विभाजन का कारण बनते हैं।
अब समय आ गया है कि हम देश की खंडित हुई चेतना शक्ति को पुनः जागृत और अखंड बनाना है। अपने देश के आध्यात्मिक और आत्म बल को जागृत कर एकात्मता के एहसास के साथ आक्रमण का प्रतिकार करना है।माननीय गोविंदाचार्य जी का कहना है कि जब तक हम केवल समस्या का स्वरूप, स्वभाव और परिणाम सोच रहे हैं वो केवल चिंता है। जब तक उसको समाधान ना दिया जाए वो चिंतन नही बन सकता। इसी कारण राष्ट्र जागरण अभियान के अंतर्गत हम इस बात पर विशेष जागरण कर रहे हैं कि भारत की सभी समस्याओं का समाधान हमे प्रकृति की ओर लौटने से मिलेगा।
भारतीय सनातन संस्कृति के अनुसार वैदिक काल मे प्रकृति को पूजा जाता था। जिन पाँच तत्वों से हमारा शरीर बना है उन्ही पाँच तत्वों से यह सृष्टि बनी है। हम मानते हैं भगवान (भ+ग+व+अ+न) मतलब भूमि, गगन, वायु, अग्नि और नीर। इसी कारण भारतीय संस्कृति का मूल प्रकृति से मैत्री है। प्रकृति के साथ समन्वय, संतुलन, पारस्परिकता, सहकार और सहयोग ही भारतीय संस्कृति का मूल है जिससे दूर जाने के कारण ही हम अपना धर्म बोध और शौर्य बोध भूल गए हैं।
हमारी मातृभूमि और विश्व की सभी समस्याओं का समाधान है प्रकृति। प्रकृति से ही हम संस्कृति की ओर लौटेंगे।
कार्यक्रम में प्रमुख रुप से एडवोकेट आशुतोष अवस्थी सह-संयोजक आर्थिक प्रकोष्ठ एवं कृष्णा तिवारी संयोजक,बजरंग दल, सी.ए नगेन्द्र शुक्ला संयोजक आर्थिक प्रकोष्ठ, आशुतोष त्रिपाठी संयोजक,निकाय प्रकोष्ठ आदि उपस्थित रहे।
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