चार पुस्तकों का एक साथ विमोचन


  • विकासिका इस वर्ष मना रहा है स्वर्ण जयंती महोत्सव
  • स्वर्ण जयंती महोत्सव के अंतर्गत आज 48 में कार्यक्रम में चार पुस्तकों का विमोचन
  • वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि सुरेश अवस्थी ने मुख्य अतिथि कृष्ण कुमार नाज़ का किया स्वागत

लखनऊ, रविवार 06मार्च 2022 (सूवि) फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी बसंत ऋतु २०७८ आनन्द नाम संवत्सर। जनपद की सामाजिक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था विकासिका इस वर्ष स्वर्ण जयंती महोत्सव मना रही है।

विकासिका के इस स्वर्ण जयंती वर्ष में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत सुकवि देवेंद्र सफल की चार पुस्तकों का विमोचन एवं सम्मान समारोह सेवा संस्थान के पुष्पांजलि सभागार काकादेव में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में मुरादाबाद से पधारे देश के विख्यात शायर डॉ कृष्ण कुमार नाज़ को सुप्रसिद्ध कवि एवं वरिष्ठ पत्रकार सुरेश अवस्थी ने माला पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन श्रवण शुक्ला ने करते हुए देवेंद्र सफल के साथ कार्यक्रमों में बिताए हुए पलों को साझा किया। आज के इस कार्यक्रम को यदि सम्मिलित करें तो यह कार्यक्रम संस्था के स्वर्ण जयंती वर्ष का 48 वां कार्यक्रम था। 

डीएवी कॉलेज के हिंदी विभागाधक्ष डॉक्टर शिव कुमार दीक्षित की अध्यक्षता में सुकवि देवेंद्र सफल की चार साहित्यिक रचनाओं का विमोचन किया गया। जिसमें दो रचनाएं सहमी हुई सदी और हरापन बाकी है यह नवगीत संग्रह है तथा शीशे के मका में एवं परछाइयां हमारी यह गजल संग्रह है। मंचासीन विशिष्ट अतिथि डॉक्टर दया दीक्षित आदि ने इस रचना को सराहा।

कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ जिसमें श्रीमती कविता सिंह तथा उनकी छात्राओं ने सुंदर गायन प्रस्तुत किया। इसके उपरांत देवेंद्र सफल की गजलों का भी गायन श्रीमती कविता सिंह और प्रवीण सिंह द्वारा संयुक्त रुप से प्रस्तुत किया गया।

विकासिका संस्था के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के रहे संयोजक डॉक्टर विनोद त्रिपाठी ने देवेंद्र सफल को विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया तथा इसी मंच से अन्य कवियों को भी सम्मानित किया जिनमें सर्वश्री शैलेंद्र शर्मा, हरिलाल मिलन और राजेंद्र तिवारी सम्मानित हुए। 

देवेंद्र सफल ने अपनी रचनाओं के विमोचन के अवसर पर एक साहित्यकार लेखक की व्यथा को व्यक्त किया उन्होंने कहा यह चार रचनाएं एक साथ लिखना हमारे लिए सरल नहीं था क्योंकि इस कोरोना के कालखंड में मैंने अपने चार भाइयों को और मां को सदैव के लिए हार गया हूँ ऐसी व्यथित अवस्था में लेखनी को निरंतर जारी रखना हमारे लिए किसी कठिन परीक्षा की घड़ी से कम न था। पत्नी का साथ बच्चों का संस्कारित होना मेरी सफलता का धनात्मक कारण है।

कार्यक्रम के समापन पर आए हुए सभी प्रबुद्ध आगंतुकों का संयोजक डॉ विनोद त्रिपाठी ने आभार व्यक्त किया।

टिप्पणियाँ
Popular posts
हर व्यक्ति को प्रत्येक दिन योग का अभ्यास करना चाहिए - दिनेश सिंह कुशवाहा
चित्र
अवैध कब्जा करने वालों को चिन्हित करते हुए उनके खिलाफ एंटी भू माफिया, गैंगस्टर आदि धाराओं में कठोरतम कार्यवाही के निर्देश
चित्र
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविध्यालय का डायट कानपुर देहात और डायट कानपुर नगर के साथ हुआ MoU
चित्र
विश्व पर्यावरण दिवस पर पेड़ों के संरक्षण और संवर्धन का संकल्प लिया
चित्र
सभी मतदेय स्थलों में छाया, शौचालय, पेयजल व्यवस्था एवं बुजुर्ग, दिव्यांग मतदाओं हेतु रैम्प आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए - जिलाधिकारी
चित्र