प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करता...

  • उत्तर प्रदेश डिजाइन एवं शोध संस्थान प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का प्रमुख अंग
  • आने वाले समय यूपीआईडीआर भारत का पहला डिजाइन इंस्टीट्यूट बनकर नया कीर्तिमान स्थापित करेगा- राकेश सचान

लखनऊ, बुधवार 13अप्रैल 2022 (सूवि) चैत्र मास शुक्ल पक्ष द्वादशी बसंत ऋतु २०७९ राक्षस नाम संवत्सर।  उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान ने कहा कि उत्तर प्रदेश डिजाइन एवं शोध संस्थान (यूपीआईडीआर) प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ओडीओपी का एक प्रमुख अंग है। 

जो डिजाइन एजुकेशन के साथ-साथ प्रदेश के कारीगर एवं बुनकरों को नई डिजाइन देकर प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार कर रहा है। स्थानीय उत्पादों को नये कलेवर में ढाल कर वैश्विक बाजार के लिए तैयार कर रहा है।

श्री सचान ने यह विचार आज शहीद पथ स्थित यूपीआईडीआर में आयोजित हैण्डलूम सप्ताह एवं सेमिनार के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि यह संस्थान जो कई वर्षों से मृतप्राय था। वर्ष 2017 से मूर्तरूप लेना शुरू किया है और आज ये प्रदेश के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रहा है। आने वाले समय यूपीआईडीआर न केवल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए जाना जायेगा, बल्कि यह भारत का पहला डिजाइन इंस्टीट्यूट बनकर नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।
श्री सचान ने कहा कि संस्थान में पढ़ रहे आरक्षित वर्ग के बच्चे यहाँ मुफ्त शिक्षा पा सकेंगे, उनकी फीस समाज कल्याण विभाग वह्न करेगा। ये उ0प्र0 सरकार की एक अनूठी पहल है जो नई पीढ़ी को कारीगर के हुनर सिखाकर हमारी कला, संस्कृति एवं परम्परा को एक नये मुकाम पर लेकर जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कोविड काल जैसे कठिन समय में भी बड़े उद्यमियों से लेकर छोटे-छोटे व्यवसाये करने वालो को भी हर संभव सहायता दी है, कोरोना के समय में कारीगरों को टेªनिंग दी गई। साथ ही टूलकिट भी प्रदान किये दिए। प्रवासी मजदूरों की स्किल मैपिंग करके उनको रोजगार से जोड़ा गया।
शुभारम्भ कार्यक्रम के पश्चात मंत्री जी ने इंस्टीट्यूट के कार्यों की समीक्षा की और निर्देश दिए कि हर जिले में रॉमटेरियल बैंक एवं डिजाइन स्टूडियो की स्थापना का प्रस्ताव उपलब्ध कराया जाय। जिससे कारीगरों एवं बुनकरों को स्थानीय स्तर पर सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि हर सम्भव कोशिश करके प्रदेश में सिल्क का उत्पादन बढ़ाया जाये, जिससे सिल्क के धागे की कीमत कम हो सके।
उल्लेखनीय है कि सेमिनार में फ्रांस से टेक्सटाइल्स डिजाइनर एवं एक्सपर्ट सुश्री इसाबेल्ली शामिल हुई है। जो सिल्क की गुणवत्ता कैसे बढ़ायी जाये, इस पर अपने अनुभव साझा करेंगी। इनके अतिरिक्त सेमिनार में गुजरात के अनुभवी बुनकर चमनलाल एवं बाबूभाई, राजस्थान से ब्रज बल्लभ, वाराणसी से शाहिद भी बुनाई की तकनीक से सबको अवगत करायेंगे।
कार्यक्रम के संस्थान की अध्यक्षा सुश्री क्षिप्रा शुक्ला सहित विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
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