मिशन वात्सल्य एवं मिशन शक्ति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

  1. महिला एवं बाल विेकास विभाग व यूनिसेफ द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ
  2. प्रदेश की हर महिला एवं बच्चे को सुरक्षित एवं सशक्त बनाने के लिए प्रदेश सरकार कटिबद्ध
  3. प्रत्येक अधिकारी को संवेदनशीलता से निभाना होगा अपना दायित्व- मंत्री महिला एवं बाल कल्याण, श्रीमति बेबी रानी मौर्या

लखनऊ। मंगलवार 23मई 2023 (सूवि) ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी, ग्रीष्म ऋतु २०८० नल नाम संवत्सर। मिशन वात्सल्य एवं मिशन शक्ति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु डिप्टी चीफ प्रोबेशन अधिकारियों एवं जिला प्रोबेशन अधिकारियों की दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ मंगलवार को लखनऊ स्थित गोल्डन टयूलिप होटल में महिला एवं बाल कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

कार्यशाला का उद्देश्य महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य योजना का प्रभावी संचालन एवं अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया था।

मिशन वात्सल्य देश में बाल संरक्षण सेवाओं के लिए एक व्यापक योजना है जो बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने पर जोर देती है। मिशन शक्ति एक महिलाओं एवं बच्चियों का सशक्तीकरण का एक व्यापक कार्यक्रम है।कार्यशाला के आरंभ में जिला प्रोबेशन अधिकारियों को संबोधित करते हुए मंत्री महिला एवं बाल कल्याण उत्तर प्रदेश, श्रीमति बेबी रानी मौर्या ने कहा, “महिला एवं बाल कल्याण विभाग के सभी अधिकारियों को संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ कार्य करने की आवयशकता है। यदि हम हर पीड़ित महिला एवं बच्चे को अपने परिवार के सदस्य की तरह स्नेह, सम्मान और सुरक्षा का माहौल दें और उनके अधिकार दिलाने का हर संभव प्रयास करें तो हम उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं”।

मंत्री श्रीमति बेबी रानी मौर्या ने महिलाओं एवं बच्चों के कौशल विकास पर जोर देते हुए उन्हें व्यवसाय के अवसर देने की बात कही। उन्होने कहा, “महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों को जिला अधिकारी के सहयोग से शहर में आयोजित होने वाले मेलों आदि में स्टाल दिला कर प्रदर्शित किया जाएगा।“

मंत्री जी ने बाल गृहों एवं संप्रेक्षण गृहों में रह रहे बच्चों को आगे बढ़ने व अपनी रुचि के अनुसार पढ़ाई एवं कौशल विकास के लिए प्रेरित करने की भी सलाह दी। महिला एवं बाल कल्याण विभाग की सचिव सुश्री अनामिका सिंह ने कहा, “उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में आधार का प्रयोग करते हुए कई बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया गया है। यह एक सकारात्मक पहल है जिसका अनुकरण अन्य जिलों में भी किया जाना चाहिए”।उन्होने बताया उत्तर प्रदेश में 181 महिला हेल्पलाइन एवं 112 एमर्जेंसी हेल्पलाइन का एकीककरण कर लोगों तक बहतर सुविधाएं पहुंचाने में सफल रहे हैं।

कार्यशाला में मिशन वात्सल्य के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई एवं 2021 के संशोधनों पर भी चर्चा की गई। कार्यशाला में मिशन शक्ति के विभिन्न आयामों पर भी चर्चा की गई।

कार्यशाला में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन डॉ देवेंद्र शर्मा ने बताया की आयोग द्वारा पूरे राज्य के बाल एवं महिला संप्रेक्षण गृहों की वास्तविक स्थिति की एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है जो की प्रदेश सरकार द्वारा शीघ्र ही साझा की जाएगी। डॉ शर्मा ने जिलों में महिलाओं एवं बच्चों के लिए कार्य कर रहे स्वयंसेवी संस्थानों के रजिस्ट्रेशन पर जोर दिया ताकि उनकी जवाबदेही तय की जा सके।

यूनिसेफ के प्रोग्राम मैनेजर डॉ अमित महरोत्रा ने कहा, “हमे सर्वप्रथम यही प्रयास करना चाहिए की प्रत्येक बच्चा एवं बच्ची हर प्रकार से दुर्व्यवहार, उपेक्षा एवं शोषण से सुरक्षित हो। हर बच्चे को पारिवारिक माहौल में बड़े होने का अधिकार है। किस भी बच्चे के लिए राजकीय बाल गृह जैसी व्यवस्था में रहना एक अंतिम विकल्प होना चाहिए और यदि किसी भी बच्चे को बाल गृह में रहना पड़े तो वहाँ उसे गुणवत्तापूर्ण देखभाल मिलनी चाहिए।“ डॉ महरोत्रा ने कहा की ब्लॉक एवं ग्राम स्तर पर कार्य कर रही महिलाओं को भी महिला एवं बाल कल्याण द्वारा अपने कार्यक्रमों के प्रसार/क्रियान्वयन हेतु शामिल किए जाने की सलाह दी।

महिला एवं बाल कल्याण विभाग की निदेशक, सुश्री सुरनीत कौर ने बताया की संप्रेक्षण गृहों में बच्चों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया गया है और जल्द ही उनकी नियुक्ति भी सुनिश्चित की जाएगी।

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