कानपुर नगर। गुरुवार 30नवम्बर 2023 (सूत्र) मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष तृतीया, शरद ऋतु २०८० नल नाम संवत्सर। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली एवं दीन दयाल शोध केंद्र, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के संयुक्त तत्वाधान में आगमी 2 व 3 दिसंबर 2023 को भारतीय इतिहास में आर्थिक दृष्टिकोण: कृषि, पशुपालन एवं वाणिज्य विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।
जिसमें देश भर के सभी राज्यों के लगभग 300 से ज्यादा इतिहास एवं पुरातत्त्व के विद्वान्, विश्वविद्यालयों में कार्यरत प्राध्यापक, अनुसन्धान-केन्दों के संचालक, भूगोल, खगोल, भौतिशास्त्रादि अनेक क्षेत्रों के विद्वान् तथा वैज्ञानिक एवं इतिहास में रुचि रखने वाले विद्वान, शोध छात्र आदि लोग प्रतिभाग करेंगे।
संगोष्ठी का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मा. डॉ. कृष्ण गोपाल जी, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली के संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद जी करेंगे, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक जी करेंगे।
विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो.सुधीर कुमार अवस्थी ने बताया कि दो दिनों की इस सगोष्ठी में विभिन्न सत्रों में 50 से ज्यादा शोध पत्रों का वाचन होगा। उद्घाटन सत्र का कार्यक्रम वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई सभागार, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में 2 दिसंबर 2023 को प्रातः 10 बजे होगा। प्रेस वार्ता में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सह सचिव श्रीमान संजय, कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी, इतिहास संकलन समिति, कानपुर प्रांत के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार मिश्र उपस्थित रहे।अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना
अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, इतिहास के क्षेत्र में कार्यरत विद्वतजनों का एक राष्ट्रव्यापी संगठन है जो इतिहास, संस्कृति, परम्परा आदि के क्षेत्र में प्रामाणिक, तथ्यपरक तथा सर्वांगपूर्ण इतिहास-लेखन तथा प्रकाशन आदि की दिशा में कार्यरत है। देश एवं विदेशों में रह रहे इतिहास एवं पुरातत्त्व के विद्वान्, विश्वविद्यालयों में कार्यरत प्राध्यापक,अध्यापक, अनुसन्धान-केन्दों के संचालक, भूगोल, खगोल, भौतिशास्त्रादि अनेक क्षेत्रों के विद्वान् तथा वैज्ञानिक एवं इतिहास में रुचि रखने वाले विद्वान इस कार्य से जुड़े हुए हैं।
यह सर्वस्वीकृत एवं प्रामाणिक तथ्य है कि भारत का इतिहास देश, काल एवं घटना की दृष्टि से खण्डित, विसंगतिपूर्ण एवं विकृत सिद्धान्तों पर आधारित है। यूरोपीय प्रभुत्वकाल में पाश्चात्य मानसिकता से लिखित इतिहास तथ्य सत्य एवं लेखक तीनों ही कसौटियों पर अप्रामाणिक, अश्रद्धेय तथा पूर्वाग्रहों से युक्त है। इसलिए स्वाधीनता के पश्चात् सरकारी एवं गैर-सरकारी स्तरों पर इतिहास-संशोधन के अनेक प्रयत्न हुए और हो रहे हैं। इसी कड़ी में भारत के प्रामाणिक एवं भारतीय कालक्रमानुसार सत्यपरक इतिहास पुनर्रचना के लिए संकल्पित समाज-चिन्तक श्री उमाकान्त केशव (बाबा साहेब आपटे ( 1903-1972) की स्मृति में कलियुगाब्द 5075 (1973 ई०) में नागपुर में भारतीय इतिहासलेखन, संकलन तथा प्रकाशन आदि की दृष्टि से 'बाबा साहेब आपटे स्मारक समिति' की स्थापना हुई। बाद में 1994 में 'अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना' नामक राष्ट्रीय संगठन दिल्ली में पंजीकृत हुई।
इस प्रकार 'योजना' इतिहास के क्षेत्र में कार्यरत विद्वतजनों का एक राष्ट्रव्यापी संगठन है जो इतिहास, संस्कृति, परम्परा आदि क्षेत्र में प्रामाणिक तथ्यपरक तथा सर्वांगपूर्ण इतिहास-लेखन तथा प्रकाशन आदि की दिशा में कार्यरत है। देश एवं विदेशों में रह रहे इतिहास एवं पुरातत्त्व के विद्वान् विश्वविद्यालयों में कार्यरत प्राध्यापक, अध्यापक, अनुसन्धान केन्द्रों के संचालक, भूगोल, खगोल, भौतिकशास्त्रादि अनेक क्षेत्रों के विद्वान् तथा वैज्ञानिक एवं इतिहास में रुचि रखनेवाले विद्वान् इस कार्य से जुड़े हुए हैं।उपर्युक्त विचारों की पृष्ठभूमि में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना ने भारतीय कालगणना के आधार पर महाभारत काल से लेकर वर्तमान समय तक के इतिहास के पुनर्संकलन का कार्य लिया है। यह पुनर्संकलन सत्य, निष्पक्ष तथ्यों पर आधारित, पूर्वाग्रहरहित, भारतीय कालगणना, आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों और नवीनतम पुरातात्त्विक खोजों और समसामयिक वैज्ञानिक व्याख्यात्मक प्रतिमानों के आधार पर हो रहा है। इस प्रकार 'योजना' हमारे देश की सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, आर्थिक, राजनैतिक तथा जीवन के अन्य सभी पक्षों को दर्शाते हुए हमारे देश के वास्तविक सूत्रबद्धात्मक तथा व्यापक इतिहास का संकलन कर रही है।
इसके साथ ही योजना ने वर्षों से सतत अभियान चलाकर भारतीय इतिहास में व्याप्त अनेक भयंकर विसंगतियाँ और त्रुटियों की ओर विश्व का ध्यान आकृष्ट करने के साथ-साथ इतिहास के उन पृष्ठों को भी उद्घाटित करने का प्रयास किया है जो अबतक अज्ञात रहे थे या जिनके सामने आने में अनेक अवरोध उत्पन्न किए जा रहे थे। योजना से जुड़े विद्वान् इतिहासकारों द्वारा उद्घाटित तथ्य, सत्य की कसौटी पर कसे होने के कारण मील के पत्थर सिद्ध हुए हैं और योजना के वैज्ञानिक दृष्टिकोण के कारण इन्हें वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। विगत दो दशक में भारतीय और विश्व इतिहास से जुड़े अनेक भ्रामक तथ्यों से निराकरण में योजना को पर्याप्त सफलता प्राप्त हुई है और अनेक में योजना सफलता की ओर अग्रसर है। कुछ मौलिक अनुसंधान, जिसमें योजना ने सफलता प्राप्त की है और जो योजना के द्वारा वर्तमान में प्रकल्प के रूप में चल रहे हैं तथा जिनपर योजना ने पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं, इस प्रकार हैं-
1. 'आर्य आक्रमण सिद्धान्त' का उन्मूलन
2. वैदिक सरस्वती नदी शोध प्रकल्प
3. भारतीय कालगणना वैज्ञानिक एवं वैश्विक
4. प्राचीन नगरों का युगयुगीन इतिहास
5. तीर्थ क्षेत्रों का इतिहास-लेखन
6. पुराणों के अंतर्गत इतिहास
7. जनजातीय इतिहास-लेखन
8. जिलों के इतिहास का संकलन
9. युवा एवं महिला इतिहासकार
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