कानपुर नगर। गुरुवार 21मार्च 2024 (सूत्र) फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष द्वादशी, बसंत ऋतु २०८० नल नाम संवत्सर। आचार्य सनेही साहित्य परिषद द्वारा देवकी नगर में आयोजित काव्योत्सव एवम सम्मान समारोह में कवियों ने विभिन्न रंगों से अपनी रचनाओं को कार्यक्रम में खूब सजाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि अशोक शास्त्री ने व संचालन रायबरेली से पधारे हुए सुप्रसिद्ध कवि गोविंद गजब ने किया। इस काव्योत्सव का आरंभ कवि राजेन्द्र अवस्थी की वाणी वंदना से शुभारम्भ हुआ।
कवि संजीव मिश्र ने पिता पर मार्मिक रचना प्रस्तुत करते हुए पढ़ा पहले तो ऐसे ही होते थे सबके बाबू जी। कवि राजेन्द्र अवस्थी ने अपनी रचना उड़े रेअबीर गुलाल कि होली आई है पढ़ कर वाहवाही लूटी। कविअशोक शास्त्री ने अपनी रचना कभी पिता ने पूछी तुमसे मन में भरी व्यथाएं तू न बोली बोल गई थी तेरी मुख मुद्राएं पढ़ कर वातावरण को संवेदनशील बना दिया।कवि राजेश सिंह की रचना चूस कर फेंक दिए गए आम के छिलके सा आज का मतदाता जिसे धोखे से भी काम निकल जाने के बाद याद नही किया जाता पढ़ कर श्रोताओं को चिंतन के लिए बाध्य किया। कवयित्री उमा विश्वकर्मा की चिंतनशील रचनाएं, गोविंद गजब के छंद, अनामिका सिंह "अविरल" की रचनाएं बहुत सराही गई। अगंतुको के प्रति आभार रंजीत अवस्थी ने व्यक्त किया।
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