लखनऊ 30 अक्टूबर राज्य कर्मचारी् संयुक्त परिषद् के अध्यक्ष जे एन तिवारी के अध्यक्षता में परिषद् कि बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि कल ३१अक्टूबर से शुरू होगा व्यापक जनजागरण कर्मचारियों की लम्बित मांगों के कारण बढ़ते आक्रोश को देखते हुए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने लखनऊ से प्रदेश स्तरीय कर्मचारी आन्दोलन शुरू करने का फैसला लिया है। आज 30 अक्टूबर को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारियों की एक बैठक परिषद कार्यालय बी- 61, बेसमेंट -2, तेजकुमार प्लाजा लखनऊ में संपन्न हुई। बैठक में 31 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं जन जागरण कार्यक्रम की व्यापक समीक्षा की गई। जन जागरण कार्यक्रम में संयुक्त परिषद के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों से प्रतिभाग करने का आग्रह किया गया।
संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने एक प्रेस विज्ञप्ति अवगत कराया है कि 23 अक्टूबर को संयुक्त परिषद के मांग पत्र पर अपर मुख्य सचिव कार्मिक मुकुल सिंघल की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी। उस बैठक में सरकार का रुख कर्मचारियों की मांगों के प्रति नकारात्मक था। कर्मचारियों की जायज मांगों पर भी कर्मचारी प्रतिनिधियों का पक्ष सुने बिना ही एकतरफा निर्णय किए जा रहे थे। बैठक में अपर मुख्य सचिव ने कहा कि "सरकार अपने कर्मचारियों को बहुत कुछ दे रही है यदि कर्मचारी सरकारी सुविधाओं से संतुष्ट नहीं है तो नौकरी छोड़कर चले जाए"। उन्होनें यहां तक कहा कि "कर्मचारी 10 किलो ग्राम सोने की मांग कर रहे हैं जो सरकार पूरा नहीं कर सकती है"।
यह कर्मचारियों की मांगों पर करारा व्यंग्य है। सरकार 10 ग्राम सोने के बराबर न्यूनतम वेतन देने को तैयार नहीं है और 10 किलो सोना देने की बात करके कर्मचारियों का मनोबल कमजोर कर रही है। यह अत्यंत ही गंभीर आरोप है , कर्मचारी इसको बर्दाश्त नहीं करेगा।
पुरानी पेंशन बहाली पर उन्होंने दो टूक मना किया। अपर मुख्य सचिव के नकारात्मक रवैया के कारण बैठक में कर्मचारियों की मांगों पर कोई सार्थक निर्णय नहीं हुआ ।
संयुक्त परिषद के अध्यक्ष तिवारी ने बैठक के नकारात्मक बिंदुओं से मुख्य सचिव को अवगत कराते हुए आंदोलन पर अडिग रहने की सूचना दे दिया है। संयुक्त परिषद के पदाधिकारी 31 अक्टूबर से जन जागरण के माध्यम से कर्मचारियों को सरकार के कर्मचारी विरोधी रवैए से अवगत कराएंगे। 20 दिसंबर को लखनऊ में होने वाले विशाल धरना प्रदर्शन एवं विधानसभा मार्च में भारी संख्या में कर्मचारियों का जमावड़ा सुनिश्चित किया जाएगा। आंदोलन आर पार का होगा ।पहले मुख्य मंत्री एवं मुख्य सचिव के साथ वार्ता के दौरान आउटसोर्सिंग एवं संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर नियमावली बनाकर समायोजन पर सहमति बनी थी, लेकिन अब इस संबंध में नकारात्मक बातें मीडिया के माध्यम से आ रही है, इसको कर्मचारी बर्दाश्त नहीं करेगा। आज 30 अक्टूबर को संयुक्त परिषद से जुड़े बड़े संगठनों के पदाधिकारियों ने परिषद कार्यालय में एकत्र होकर मांगों को पूरा कराने के प्रति आन्दोलन की प्रतिबद्धता की शपथ लिया।
31 अक्टूबर से प्रदेश में जनजागरण का कार्यक्रम जनपद कन्नौज से शुरू किया जाएगा। जनजागरण की अगली कड़ी में 2 नवम्बर को कानपुर, 3 नवम्बर को झांसी, 4 नवम्बर को अलीगढ़ और 5 नवम्बर को मथुरा में सम्मेलन करके कर्मचारियों को जागरुक किया जाएगा।
इस अवसर पर संयुक्त परिषद के जुड़े संगठनों, सेन्ट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ, परिवहन निगम, माध्यमिक शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ, विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ, स्नातकोत्तर शिक्षणेत्तर कर्मचारी परिषद, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ, चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं, फाइलेरिया निरीक्षक संघ, कीट संग्रहकर्ता संघ, डिप्लोमा लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन, अनुसूचित प्राथमिक विद्यालय शिक्षक महासंघ सहित परिषद से जुड़े दर्जनों संगठनों के पदाधिकारियों ने परिषद के कार्यालय से नए जोश के साथ कमचारियों की मांगो पर निर्णायक संघर्ष की घोषणा की। इस अवसर पर संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी के अलावा संयोजक सुरेश चंद्र मिश्र, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जसवंत सिंह, उपाध्यक्ष, संतोष सिंह, टी डी राव, रमेश चन्द्र खरे,अजय लक्ष्मी, एस एन मिश्र, सरोज पाण्डेय, शिव मूर्ति पाण्डेय, संगठन के वित्त मंत्री आरके उपाध्याय,, संप्रेक्षक हरगोविंद यादव, आर के यादव सहित परिषद से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे।
संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने अवगत कराया कि कर्मचारियों की लम्बित मांगों पर सरकार की उपेक्षा से नाराज प्रदेश के 10 लाख से भी अधिक कर्मचारी आंदोलन करने को मजबूर है। 20 दिसंबर को प्रदेश के कोने-कोने से कर्मचारी लखनऊ में जुटेंगे एवं गांधी प्रतिमा पर धरना प्रदर्शन करके अपना रोष व्यक्त करेंगे तथा मुख्यमंत्री को मांगों का ज्ञापन देंगे। 20 दिसंबर को ही आंदोलन के अगले चरण की घोषणा भी की जाएगी। कर्मचारियों की प्रमुख मांगे, जिनमें संवर्ग वार एवं पदवार वेतन विसंगतियों तथा भत्तों पर निर्णय किया जाना, आउटसोर्सिंग ,संविदा कर्मियों का समायोजन,पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती खोला जाना, न्यूनतम वेतन 21000 किया जाना इत्यादि प्रमुख हैं, पर सरकार की उपेक्षा से कर्मचारी नाराज है। इसके अतिरिक्त सरकार ने विगत दिनों कर्मचारियों को मिलने वाले छह भत्ते अचानक ही खत्म कर दिये हैं एवं अन्य कई भत्तों को समाप्त करने की तैयारी है। कर्मचारी, भत्तों को समाप्त करने का भी विरोध कर रहे हैँ। पुरानी पेंशन की बहाली और आटससोसिंग ,संविदा कर्मियों का नियमितीकरण संयुक्त परिषद की प्राथमिकता में है।आन्दोलन में इन बिन्दुओं को विशेष रूप से प्रमुखता दी जायेगी।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की हूई महत्त्वपूर्ण बैठक
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