35 साल पुराने इस्कॉन के मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आ गया इसको स्वागत करना चाहिए - डॉक्टर मुरलीधर सिंह

मुंबई एवं बेंगलुरु इस्कॉन के 35 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 

लखनऊ एवं इलाहाबाद। शुक्रवार 16मई 2025 (सूत्र/संवाददाता) सूर्य उत्तरायण, ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी, ग्रीष्म ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्याय मूर्ति अभय एस ओका एवं न्यायमूर्ति एस एस मसीह की पीठ में इस्कॉन अंतर्राष्ट्रीय कृष्णा भावनात्मक संस्था के बेंगलुरु इकाई एवं मुंबई इकाई के मध्य चल रहे विवाद पर अंतिम फैसला दे दिया फैसला दिया कि बैंगलोर इस्कॉन की संपत्ति कर्नाटक सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत गठित संस्था द्वारा कार्य किया गया है इसलिए उसे पर उसका पूर्ण अधिकार होगा तथा मुंबई किस का उससे कोई लेना-देना नहीं। 

भारत में धार्मिक गुरु श्री अभय चरण प्रभुपाद द्वारा 1966 में न्यूयॉर्क में इस्कॉन की स्थापना की गई थी उसके विश्व में लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा सेंटर इंडिया मुख्य केंद्र मुंबई बेंगलुरु नवदीप मायापुर बंगाल में इसमें पद्मश्री श्री मधु पंडित अध्यक्ष स्थान बैंगलोर एवं मुंबई स्थान के प्रमुख के मध्य विवाद था या अंतिम फैसला पद्मश्री मधु पंडित के पक्ष में हो गया है इससे तो समस्याएं होंगी एक आस्था के बजाय आर्थिक केंद्र के रूप में जाना जाएगा तथा भक्तों के मध्य एक लाइन खींच जाएगी

जो श्रद्धा के दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं मैं इस्कान का पैटर्न हूं इसलिए इसको अच्छा नहीं मानता दोनों संस्थाओं के मध्य आपसी सामंजस होना चाहिए क्योंकि आप भारत की विश्व मॉडर्न आध्यात्मिक संस्था इसकी मान्यता महत्व है।

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