आई.एम.ए. सदैव ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से समाजहित में सकारात्मक संदेश देने का कार्य करता रहेगा - आई.एम.ए. सचिव

कानपुर नगर। शनिवार 06सितम्बर 2025 (सूत्र/संवाददाता) सूर्य दक्षिरायण, भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (अनन्त चतुर्दशी) ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। भारत की आत्मशक्ति जागरण पर विशेष व्याख्यान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, कानपुर शाखा के तत्वावधान में जितेन्द्र कुमार लोहिया सभागार, आईएमए भवन कानपुर में एक आयोजन किया गया। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त, भारतीय विदेश सेवा सेट सेवानिवृत्त अधिकारी एवम पूर्व राजदूत व प्रखर वक्ता दीपक वोहरा ने, “The Jaamvant Effect – How India Becomes Bharat” विषय पर अपना संबोधन दिया।

विशिष्ट अतिथि, भारतीय विदेश सेवा से सेवानिवृत्त अधिकारी एवम पूर्व राजदूत व प्रखर वक्ता दीपक वोहरा के स्वागत के बाद, कार्यक्रम की शुरुआत आई.एम.ए. सचिव, डॉ. विकास मिश्रा द्वारा, आई.एम.ए. प्रार्थना के साथ हुई, इसके बाद गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया।

आई.एम.ए. अध्यक्ष, डॉ. नंदिनी रस्तोगी ने राजदूत दीपक वोहरा के जीवन परिचय के बारे में दर्शकों को जानकारी दी। यह कार्यक्रम का संचलन आई.एम.ए. सचिव डॉ. विकास मिश्र द्वारा किया गया। अपने व्याख्यान में, राजदूत दीपक वोहरा ने, रामायण के प्रसंग के माध्यम से यह संदेश दिया कि जिस प्रकार जामवंत ने हनुमान को उनकी सुप्त शक्तियों का स्मरण कराया था, उसी प्रकार आज प्रत्येक भारतीय को अपनी निहित क्षमताओं और गौरवशाली परंपराओं को पहचानकर राष्ट्र के नव-निर्माण में योगदान देना चाहिए।

1. महाकाव्य से प्रेरणा

  • रामायण में हनुमान जी अपने अपार सामर्थ्य को भूल जाते हैं।
  • जामवंत उन्हें उनकी शक्ति का स्मरण कराते हैं।
  • आत्मविश्वास से भरकर हनुमान समुद्र लांघकर लंका पहुँचते हैं।
  • संदेश: जैसे व्यक्ति अपनी शक्ति भूल सकता है, वैसे ही एक राष्ट्र भी अपनी ताकत तब तक भूल सकता है जब तक कोई उसे याद न दिलाए।

2. हनुमान के रूप में भारत

  • सदियों तक उपनिवेशवाद, आक्रमणों और शोषण के कारण भारत अपनी सभ्यतागत महिमा को भूल गया।
  • असीम सांस्कृतिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक धरोहर होने के बावजूद आत्मविश्वास डगमगा गया।
  • शक्ति तो थी, पर भरोसा नहीं था।

3. जामवंत प्रभाव

  • जामवंत = नेतृत्व, दृष्टि, मार्गदर्शक और सामूहिक चेतना।
  • आज भारत फिर से अपनी शक्ति और आत्मविश्वास को पहचान रहा है।
  • विश्व का सम्मान – भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, प्रतिभा, अर्थव्यवस्था और संस्कृति – हमें बार-बार याद दिला रहा है कि हम कौन हैं।
  • और यही स्मरण भारत को ‘भारत’ बना रहा है।

4. जब इंडिया बने भारत

  • आर्थिक उत्थान: सबसे तेज़ गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था।
  • सांस्कृतिक पुनर्जागरण: योग, आयुर्वेद, त्यौहार, संस्कृत और भारतीय मूल्य विश्वभर में सम्मान पा रहे हैं।
  • तकनीकी उन्नति: अंतरिक्ष, डिजिटल इंडिया, AI, स्टार्टअप्स में अग्रणी।
  • रणनीतिक आत्मविश्वास: स्वतंत्र विदेश नीति और वैश्विक नेतृत्व (G20 अध्यक्षता)।
  • सभ्यतागत पहचान: ‘इंडिया’ से आगे बढ़कर ‘भारत’ पर गर्व।

5. सार

  • “जामवंत प्रभाव” आत्मबोध की शक्ति है।
  • जिस तरह हनुमान की छलांग ने रामायण की दिशा बदल दी, उसी तरह भारत का आत्मविश्वास 21वीं सदी की धारा को मोड़ देगा।
  • जब हम याद कर लेते हैं कि हम वास्तव में कौन हैं, तब इंडिया भारत बन जाता है—एक ऐसा राष्ट्र जो शक्ति, ज्ञान और मूल्यों से विश्व का नेतृत्व करता है।
  • हनुमान की तरह, शक्ति तो हमारे पास हमेशा थी—बस एक जामवंत की याद दिलाने की आवश्यकता थी। आज वह स्मरण हो चुका है, और भारत पुनः विश्व मंच पर उदित हो रहा है।

आई.एम.ए. अध्यक्ष, डॉ. नंदिनी रस्तोगी ने कहा कि, यह व्याख्यान समाज में जागरूकता और आत्मबल बढ़ाने का कार्य करेगा।

आई.एम.ए. सचिव, डॉ. विकास मिश्रा, ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आई.एम.ए. सदैव ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से समाजहित में सकारात्मक संदेश देने का कार्य करता रहेगा, यह कार्यक्रम का उद्देश्य जनता में आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच और राष्ट्र निर्माण की दिशा में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना रहा।

कार्यक्रम संयोजक डॉ. उमेश पालीवाल ने सफल आयोजन हेतु सभी उपस्थित जनों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में चिकित्सक, छात्र-छात्राएँ, गणमान्य नागरिक एवं विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे और व्याख्यान से प्रेरित हुए।

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