विशेष लेख कृषि अधिनियम से सम्बंधित

 

डा0 मुरलीधर सिंह उप निदेशक सूचना, अयोध्या मण्डल, अयोध्या

कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य संवर्धन एवं सरलीकरण अधिनियम 2020 इससे देश भर में कृषि उपज बेचने की आजादी है

कृषक सशक्तीकरण व संरक्षण कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 इससे किसानों के लिए कीमत की गारंटी प्रदान की गयी है

किसानों को मिले इस अधिनियम से कई लाभ दिखायी देने शुरू हो गये है, क्योंकि इस अधिनियम के लागू होने से ऐसे प्रदेश जहां पर आलू बहुत होता है वहां के थोक खरीददारों ने किसानों को अधिक भाव देकर सीधे कोल्ड स्टोरेज से ही आलू खरीद लिया तथा उनको ज्यादा कीमत मिली। इससे ज्यादा पिछले की तुलना में 15 से 25 प्रतिशत तक ज्यादा लाभ मिले है और किसानों को किसी भी प्रकार के भुगतान में दिक्कत नही हुई।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का 11 सितम्बर 2020 को दिये गये भाषण का अंश।

कृषि से संबंधित दो बिलों को गुरूवार के दिन 5 घंटे चली लंबी बहस के बाद इसे पारित कर दिया गया है। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य, संवर्धन और विधेयक 2020 और किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020 अब लागू हो चुका है। बता दें कि तमाम विरोधों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार कानून का पारित होना देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। ये कानून सही मायने में किसानों को विचैलियों और तमाम अवरोधों से मुक्त करेंगे। उन्होंने ट्वीट किया, किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई है। मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। ये कानून वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले है।

दोनों अधिनियम लागू होने से प्रदेश में मंडियां यथावत काम करती है। एमएसपी प्रणाली को यथावत जारी है तथा मंडियों का अपना काम-काज बेहतर हुआ है। किसान अपनी उपज इच्छानुसार मंडी के बाहर बेच सकते है। हमारी सरकार द्वारा गन्ना किसान मूल्यों का प्रदेश में रिकार्ड भुगतान रूपया 112829 करोड़ तथा लाकडाउन की अवधि में 5954 करोड़ गन्ना किसानों को भुगतान किया गया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विधानसभा के पिछले सत्र में उद्बोधन

अधिनियम में क्या है?

अगर बिल के विरोध की बात करें तो किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020 में एक परिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रावधान किया गया है यानी एक ऐसा माहौल तैयार किया जायेगा जहां किसान और व्यापारी किसी भी राज्य में जाकर अपनी फसलों को बेच और खरीद सकेंगे। इसके मुताबिक जरूरी नही कि आप राज्य की सीमाओं में रहकर ही फसलों की बिक्री करें। साथ ही बिक्री लाभदायक मूल्यों पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का भी लाभ लें सकेंगे।

वही अगर दूसरे अधिनियम किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) 2020 का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं कानून, 2020 की बात करें तो इसके तहत कृषि समझौते पर राष्ट्रीय ढांचे को तैयार करने का प्रावधान किया गया है, यानी इसके जरिए किसानों को कृषि व्यापार में किसानों, व्यापारियों, निर्यातकों इत्यादि के लिए पारदर्शी तरीके से सहमति वाला लाभदायक मूल्य ढांचा उपलब्ध कराना है।

अधिनियम में ये चीजे है शामिल

1. कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020 के तहत किसान देश के किसी भी कोने में अपनी उपज की बिक्री कर सकेंगे। अगर राज्य में उन्हें उचित मूल्य नही मिल पा रहा या मंडी सुविधा नही है तो किसान अपनी फसलों को किसी दूसरे राज्य में ले जाकर फसलों को बेच सकता है। साथ ही फसलों को आनलाइन माध्यमों से भी बेंचा जा सकेगा और बेहतर दाम मिलेंगे।

2. मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) समझौता, 2020 के तहत किसानों की आय बढ़ाने को लेकर ध्यान दिया गया है। इसके माध्यम से सरकार बिचैलियों को खत्म करना चाहती है, ताकि किसान को उचित मूल्य मिल सकें, इससे एक आपूर्ति चैन तैयार करने की कोशिश कर रही है सरकार।

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन), 2020 के तहत अनाज, खाद्य तेल, आलू-प्याज को अनिवार्य वस्तु नही रह गयी है। इनका अब भंडारण किया जायेगा इसके तहत कृषि में विदेशी निवेश को आकर्षित करने का सरकार प्रयास कर रही है।

एमएसपी प्रणाली जारी रहेगी। वास्तव में मोदी सरकार ने एमएसपी में कई गुना वृद्वि की है और किसानों से एमएसपी पर पिछली किसी भी सरकार से ज्यादा खरीद की है। नया कानून एमएसपी पर प्रतिकूल प्रभाव नही डालेगा। कृषि उपज पर एमएसपी खरीद राज्य एजेंसियों के माध्यम से की जाती है और इस कानून से इसमें कोई बदलाव नही हुआ है। किसानों से एमएसपी पर खरीद वर्तमान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और यह जारी रहेगी। इस कानून को राज्य एपीएमसी कानून की जगह देने का कोई इरादा नही है और यह एपीएमसी के काम-काज को प्रभावित नही करता। एपीएमसी बाजार परिधि की भौतिक सीमाओं के भीतर कृषि उपज की विपणन करते रहेंगे। वे अपने नियमों के अनुरूप मंडियों में बाजार शुल्क लगा सकते है। कानून केवल किसानों को मौजूदा एपीएमसी के बाहर विपणन के अतिरिक्त मौके देता है। दोनों कानून किसानों के साझा हित के लिए एक साथ बने रहेंगे।

अन्र्तराज्यीय व्यापार भारत के संविधान की संघ सूची के प्रविष्टि 42 में आता है। जहां राज्यों के बीच व्यापार, संविधान की राज्य सूची की प्रविष्टि 26 में आता है वही यह भारत के संविधान की समवर्ती सूची की प्रविष्टि 33 के तहत भी आता है। केन्द्र सरकार यहां पर कानून बनाने के लिए पूरी तरह से सक्षम है और उसे इसका अधिकार है इसलिए राज्यों की शक्तियों का कोई अतिक्रमण नही हुआ है। कानून किसानों के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त विस्तृप्त तंत्र का निर्माण करता है। व्यापारियों के सम्बंध में किसानों के लिए सरल, सुगमय, त्वरित और कम खर्च वाला विवाद निवारण तंत्र निर्धारित किया गया है ताकि किसी तरह की गलत कार्यवाही को रोका जा सकें। किसानों को उपज की ब्रिकी के दिन ही या उसके बाद कामकाज के 3 दिनों के भीतर भुगतान करना होगा। किसी तरह की धोखाधड़ी पर रोक लगाने की खातिर व्यापारियों के लिए दंडात्मक प्रावधान बनाये गये है। व्यापारियों के लिए दंडात्मक प्रावधान से किसी तरह के छल पूर्ण उद्देश्य में रोक लगाने में मदद मिलेगी। राज्य/एपीएनसी के पास राज्य विधायिका के अनुरूप बाजार, अहाते/उप अहाते में मण्डी शुल्क और दूसरे शुल्क लगाने की शक्तियां बनी रहेंगी। राज्य एपीएनसी अधिनियम और इस तरह के कानूनों के तहत स्थापित संस्थान काम करना जारी रखेंगे और इस सुधार अध्यादेश पर उन पर किसी भी तरह से असर नही पड़ता है। बल्कि एपीएनसी बाजारों की अन्य खरीददारों से प्रतिस्र्पधा की क्षमता और बढ़ेगी और यह किसानों को राजस्व वृद्वि में सहयोग के लिए प्रेरित करेगी। एपीएमसी बाजारों के पास खेती के तरीकों की समझदारी होगी और उनके एजेंटों का किसानों से पहले ही सम्पर्क होगा इसलिए यहां एजेंटों की भूमिका एपीएनसी बाजारों के अधिक कारगर और प्रतिस्र्पधी बनाने में महत्वपूर्ण रहेगी।

अनुबंध फसल के लिए होगा जमीन के लिए नही। यह कानून स्पष्ट रूप से किसान की जमीन या परिसर की बिक्री, पट्टे और बंधक सहित किसी भी तरह के हस्तांतरण की मंजूरी नही देता। यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि खरीददार/प्रायोजक/कार्पोरेट के किसानों के जमीन के मालिकाना हक हासिल करने या स्थायी बदलाव करने में रोक होगी। विवाद निवारण के लिए इस कानून में प्रभावी तंत्र का प्रावधान है। कुछ किसानों को व्यापारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही के जरिए पहले ही मुआवजा मिल चुका है। बकाया राशि की वसूली किसानों की जमीन से नही की जायेगी। किसानों की जमीन सुरक्षित है चाहें कैसी भी स्थिति हो। कानून में करार के समय ही कृषि उपज की कीमत तय करने का स्पष्ट प्रावधान है। इसने किसानों को आरम्भ में ही करार में तय की गयी कीमत मिलने की गारंटी होगी। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर किसी स्थिति में इस तरह की कीमत में बदलाव आता है तो करार से इस तरह की उपज के लिए निश्चित कीमत की व्यवस्था होगी। अगर खरीददार करार का पालन नही करता और किसान को भुगतान नही करता तो दंड के रूप में उसे बकाया राशि का डेढ़ गुना तक देना पड़ सकता है। कुछ किसानों को पहले ही इससे लाभ हो चुका है। अनुबंध समझौता यह निश्चित करेगा कि किसानों को तय कीमत मिलें। किसान किसी भी समय अनुबंध से पीछे हट सकतें है और इसके लिए कोई जुर्माना भी नही देना होगा। पंजाब, तमिलनाडु और उड़ीसा में पहले से ही अनुबंध खेती से जुड़े कानून है। 

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